मप्र / नीलबड़-रातीबड़ में भूकंप नहीं... विशेषज्ञ बोले- जमीन में ज्यादा पानी जाने से भीतर की हवा कर रही धमाकों की आवाज


भोपाल . कोलार के कान्हाकुंज, गुडशेफर्ड और दानिशकुंज कॉलोनी के बाद अब नीलबड़ अौर रातीबड़ में भी अब धमाके की आवाज और कंपन महसूस किए जा रहे हैं। यानी इस तरह की भूगर्भीय स्थिति का दायरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक जहां भी जलस्रोत होते हैं, वहां ज्यादा बारिश के कारण ऐसी हलचल होती है। लेकिन, यह भूकंप नहीं है। गौरतलब है कि नीलबड़ और रातीबड़ के अासपास  केरवा-कलियासोत और भदभदा डैम (बड़ा तालाब) हंै।



इधर, जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के रिडायर्ड डीडीजी जगमोहन गौतम ने बताया कि जहां तक भोपाल के कोलार क्षेत्र या नीलबड़-रातीबड़ की बात है, तो बहुत हद तक संभव है कि ऐसी आवाजें यहां पहले भी तब-तब आती रही होंगी, जब-जब भारी बारिश दर्ज की गई है। लेकिन मौजूदा आबादी ने इन्हें महसूस पहली बार किया है।


गौरतलब है कि इन इलाकों में शहरीकरण बीते 10-15 सालों में ही हुआ है। मेरा खुद का परिवार भी दानिशकुंज इलाके में रहता है। यहां की स्थानीयता से मैं अच्छी तरह वाकिफ हूं। शहर का विस्तार होने से पहले या तो यहां जंगल था या खेत थे या सिर्फ कुछ सैकड़ों की संख्या वाली ग्रामीण आबादी। और बीते 10-15 सालों में इतनी बारिश भोपाल में कभी नहीं हुई, कि बड़े तालाब से लेकर केरवा और कलियासोत डैम के गेट लगातार हर दो-तीन दिन में बार-बार खोलने पड़े हों।


भूगर्भीय हलचल का बढ़ता दायरा...  क्योंकि बड़ा तालाब, कलियासोत और केरवा डैम हैं आसपास, जिससे ये हलचल हो रही है


रविवार को भी सुनाई दी धमाके की आवाजें, महसूस हुआ कंपन, टीम ने कहा- बेफिक्र रहें : शनिवार रात से ही नीलबड़ व रातीबड़  में जमीन के अंदर से धमाके की अावाज अाैर बाद में भूकंप के जैसे झटके अाने से क्षेत्र के रहवासी दहशत में हैं। रविवार काे जिला खनिज अधिकारी राजेंद्र पंवार अाैर जीएसअाई की टीम ने यहां रहवासियाें से जानकारी ली। टीम ने लोगों को बेफ्रिक रहने की सलाह दी। पंवार ने बताया कि अगर ये स्थिति बढ़ती है ताे सिस्माेग्राफर से क्षेत्र की स्टडी कराई जाएगी। इधर रविवार को भी रहवासियों ने बताया कि दिन और रात में धमाके की आवाज और कंपन महसूस किया गया। इधर, विधायक रामेश्वर शर्मा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा है कि सरकार स्पेशल टीम बनाकर इन इलाकों की जांच कराएं।


पहाड़ और जलाशयों के आसपास होती है ऐसी घटनाएं : गौतम ने बताया कि पहाड़ी या पठारी इलाकों में भारी बारिश के बीच जलाशयों के किनारे या उनके आसपास जमीन के नीचे से आवाजें आना एक प्राकृतिक क्रिया है। क्योंकि जमीन के नीचे जब पानी पर्कुलेट होता है, तो धरती के नीचे चट्‌टानों (रॉक) के बीच कैविटी (गुफाओं) और पोर (रद्र) के बीच मौजूद हवा को रिप्लेस करता है। ऊपर से पानी के भारी दबाव के बीच जमीन के अंदर से निकलती हवा साउंड पैदा करती है। दूसरा कारण यह भी है कि धरती की सतह पानी के दबाव से कॉम्पेक्ट (पहले से ज्यादा सघन और भारी) होने लगती है, अंदर से हवा भी बाहर निकलने के लिए प्रेशर मारती है, इससे एयर गैप के ऊपर मौजूद पतली या कमजोर चट्टानें (लीस्ट डेंस रॉक) टूटकर सैटल हो जाती हैं।


जियो-फिजिकल सर्वे कराएं... ताकि यह पता चल सके जमीन कहां कमजाेर है, कहां ठाेस



भले ही यह स्थानीय भूगर्भीय हलचल है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। केरवा-कलियासोत और भदभदा डैम (बड़ा तालाब) तीनों के बीच मौजूद पठारी क्षेत्र की ढलान वाली जगहाें पर बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को कुछ समय के लिए तत्काल रोक देना चाहिए। सरकार को इस इलाके का जियो-फिजिकल सर्वे कराना चाहिए। ताकि पता चल सके कि सतह के नीचे कहां की जमीन कॉम्पेक्ट (पूरी तरह ठोस) है और कहां लीस्ट डेंस सरफेस (कमजोर पतली सतह) है। जियो-फिजिकल रिपोर्ट आने पर विशेषज्ञों से राय के बाद यह सरकार को तय करना चाहिए कि इस इलाके में सघन शहरीकरण और हाई-राइज को बढ़ने दिया जाए या नहीं। जगमोहन गौतम, रिटायर्ड डीडीजी, जीएसआई (वर्तमान में भूटान सरकार के हाईडल प्रोजेक्ट मामलों में सलाहकार हैं)